नवरात्रि के दौरान व्रत उपवास में प्रमुखता से उपयोग किए जाने वाले कुट्टू के आटे की बिक्री को लेकर उत्तराखंड सरकार ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने कुट्टू के आटे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और मिलावटी व संदूषित आटे के कारण होने वाली बीमारियों की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करने का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य सचिव व खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डाॅ आर राजेश कुमार ने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डाॅ धन सिंह रावत के दिशा-निर्देशों पर राज्य में कुट्टू के आटे की बिक्री को लेकर नई गाईडलाइन जारी कर दी गई है।
उन्होंने कहा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब कोई भी खाद्य कारोबारकर्ता खुले में कुट्टू का आटा नहीं बेच सकेगा। इसका विक्रय केवल सील बंद पैकेटों में ही किया जाएगा। इसके अलावा, पैकेट पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के अनुसार लेबलिंग नियमों का पालन अनिवार्य किया गया है।
खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डाॅ आर राजेश कुमार ने कहा खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार, कुट्टू के आटे की पिसाई की तिथि, पैकेजिंग की तिथि और एक्सपायरी डेट पैकेट पर स्पष्ट रूप से अंकित करना जरूरी होगा। इसके अतिरिक्त, हर पैकेट पर विक्रेता की खाद्य लाइसेंस संख्या दर्ज करना अनिवार्य किया गया है।
खाद्य कारोबारियों के लिए सख्त नियम
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डाॅ आर राजेश कुमार ने कहा बिना वैध खाद्य लाइसेंस के कुट्टू का आटा और बीज नहीं बेचा जा सकेगा। सभी खाद्य कारोबारियों को खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड लिखित रूप में रखना होगा। बिना अनुमति के खुले में कुट्टू के आटे की बिक्री करने पर कडी कार्रवाई की जाएगी।
मिलावट से बीमार होने की घटनाएं
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में देहरादून, हरिद्वार और अन्य जिलों में मिलावटी कुट्टू के आटे के सेवन से कई लोग फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसलिए सरकार ने पहले से ही सख्ती बरतने का फैसला किया है।
संबंधित अधिकारियों को दिए गए कडे निर्देश
आयुक्त डाॅ आर राजेश कुमार ने कहा खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है कि नए नियमों का कडाई से पालन हो और इसकी नियमित जांच व निरीक्षण किया जाए। यदि कोई भी विक्रेता इन नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा नवरात्रि के दौरान कुट्टू के आटे की खरीदारी करते समय उपभोक्ताओं को भी चाहिए कि वे केवल सील पैक आटा ही खरीदें और पैकेट पर अंकित निर्माण व एक्सपायरी तिथि, लाइसेंस नंबर और अन्य विवरणों को ध्यानपूर्वक जांचें।
कुट्टू के आटे के छह सैंपल फेल
आयुक्त डाॅ आर राजेश कुमार ने कहा कुट्टू के आटे की जांच में कई नमूने असुरक्षित पाए गए हैं। अभियान के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में सघन निरीक्षण और नमूना संग्रहण किये जा रहे हैं। जिसमें कई प्रतिष्ठानों से लिए गए कुट्टू के आटे के नमूने असुरक्षित पाए गए। रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में इन नमूनों की जांच की गई। देहरादून जनपद में मैसर्स लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी, विकासनगर से संग्रहित नमूना मिला असुरक्षित। यह कीट व फंगस से विषाक्त पाया गया। ब्लिंक कामर्स प्राइवेट लिमिटेड ऋषिकेश, हरिद्वार जनपद में नटराज एजेंसी, पीठ बाजार, ज्वालापुर और आशीष प्रोविजन स्टोर, खेडी मुबारकपुर, लक्सर से संग्रहित नमूने भी असुरक्षित पाए गए। इनमें मायकोटॉक्सिन विषाक्त पाया गया है। इसके अलावा अनाज मंडी रुडकी स्थित शिवा स्टोर से संग्रहित नमूना अधोमानक मिला। वहीं, जनपद ऊधमसिंहनगर में सिसोना, सितारगंज स्थित जय मैया किराना स्टोर से लिए कुट्टू के आटे के सैंपल में मायकोटॉक्सिन पाया गया। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि इन मिलावटी और असुरक्षित नमूनों को लेकर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
खाद्य कारोबारियों को मिली चेतावनी
खाद्य संरक्षा विभाग ने सभी खाद्य कारोबारियों को निर्देश दिया है कि वे खुले में कुट्टू का आटा न बेचें और केवल सील पैक व मानकों के अनुरूप उत्पाद ही बिक्री के लिए रखें। इसके अलावा, सभी खाद्य विक्रेताओं को खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य किया गया है।
उपभोक्ताओं से अपील
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उत्तराखंड ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे नवरात्रि के दौरान कुट्टू के आटे की खरीदारी करते समय विशेष सतर्कता बरतें। केवल सील पैक और वैध लाइसेंस प्राप्त उत्पाद ही खरीदें और पैकेट पर निर्माण तिथि, एक्सपायरी तिथि और लाइसेंस नंबर की जांच अवश्य करें। यदि किसी उपभोक्ता को संदेहास्पद खाद्य उत्पाद मिलता है, तो वह इसकी शिकायत संबंधित विभाग से कर सकता है।
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