हंस फाउंडेशन व वन विभाग के तत्वावधान में वन अग्निशमन एवं रोकथाम परियोजना के तहत वनाग्नि की प्रभावी रोकथाम के लिए चयनित वालियंटर फायर फाइटर्स को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में फायर फाइटर्स को वनाग्नि सुरक्षा उपकरण किट भी वितरित किए गए।
विकास भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने कहा कि राज्य भर में कुछ सालों से वनाग्नि चुनौती के रूप में उभरी है। इसके प्रभावी रोकथाम को लेकर जन जागरूकता के साथ साथ जन सहभागिता का होना आवश्यक है।
वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। मानव जनहित आग न लगे इसके लिए गांव व ग्राम पंचायतों को जागरूक करने पर जोर दिया जाना चाहिए। वाटर कंजर्वेशन की दिशा में कार्य किए जाए।
जल संचयन और भूमि में नमी को बरकरार रखने के लिए चाल-खाल,खनतियाँ,सोखते गड्ढे,जल कुंड,चैक डैम आदि बनाएं जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि गर्मियों में आगजनी की ज्यादा सम्भावना बनी रहती है। इसलिए सभी विभाग आपसी समन्वय स्थापित करते हुए जहां भी आग लगने की सूचना प्राप्त होती है वहां तात्कालिक रिस्पांस लेते हुए आग बुझाने की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। ताकि आग का प्रसार ज्यादा न बढ़ सके।
प्रभागीय वनाधिकारी धुव्र सिंह मर्तोलिया ने कहा कि वनों को आग से बचाने के लिए 15 फरवरी तक कंट्रोल बर्निंग की जा रही है। वनाग्नि के प्रभावी रोकथाम को लेकर वन,पुलिस,आपदा कर्मियों के साथ ही हंस फाउंडेशन के सहयोग से दो सौ गांव के 1100 फायर फाइटर को जोड़ा गया है।
एसपी चंद्रशेखर आर घोड़के ने कहा कि वनाग्नि के प्रभावी रोकथाम के लिए कर्मियों को अपनी सुरक्षा के साथ-साथ मानसिक रूप से भी तैयार रहना चाहिए। प्रशिक्षण में दी जा रही जानकारी को अच्छी तरह सीख लें। सीडीओ आरसी तिवारी ने कहा कि वनाग्नि को लेकर ग्रामीणों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर हंस फाउंडेशन के तत्वावधान में जिलाधिकारी ने वालियंटर फायर फाइटर्स को वनाग्नि सुरक्षा उपकरण किट वितरित किए। कार्यक्रम में डीडीओ संगीता आर्या,सीओ अजय साह,हंस फांउडेशन के प्रबंधक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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